यार गज़ब क्यों करते हो
जो पसंद नही मुझको वो सब करते हो कैसे हो तुम यार गज़ब क्यों करते हो।
हल्की मुझको चोट लगे तो रो जाते हो इतना ही है प्यार अगर क्यों लड़ते हो।
सामने जब आ जाऊं चुप हो जातें हो इतना मुझसे यार मगर क्यों डरते हो।
अच्छी लगती है तेरे चेहरे पर मुस्कान बहुत अच्छा बताओ तुम किन बातों पर हंसते हो।
कितनी बातें कहनी है तुमसे कह नही पता हूं अच्छा रूको _ ठहरो अच्छा जा सकते हो।
जो पसंद नही मुझको वो सब करते हो कैसे हो तुम यार गज़ब क्यों करते हो।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें